The smart Trick of sidh kunjika That No One is Discussing
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
And also the fear of not staying is born in that Room. But in meditation, when This really is recognized, the intellect can enter right into a dimension of Area exactly where motion is inaction. We don't know what love is, for in the get more info Place created by believed around alone since the me, adore is the conflict with the me as well as the not-me. This conflict, this torture, isn't like. Imagined will be the pretty denial of love, and it cannot enter into that Place in which the me is not. In that Room will be the benediction which person seeks and cannot locate. He seeks it throughout the frontiers of imagined, and assumed destroys the ecstasy of this benediction."
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।